रविवार, 22 अक्तूबर 2017

अर्थदोष

 
     “नाटक अर्थदोष का उन्नति लिखित विवरण
मण्डप सांस्कृतिक शिक्षा कला केंद्र, रीवा का प्रतिष्ठा आयोजन|

विन्ध्य में रंगमंच की अपनी सुदीर्घ परंपरा है| विन्ध्य प्रदेश की राजधानी रही रीवा| जहाँ वर्ष 1903 में विन्ध्य प्रदेश के महाराजा विश्वनाथ सिंह जू देव के समय में सैनिक रंगमंडल रंगमंच कर रहा था उन 15 वर्षों में 21 नाटकों का मंचन किया गया साथ ही पृथ्वीराज कपूर साहब ने रीवा में अपने नाटको का मंचन किया था| इसी परंपरा का निर्वाहन मण्डप पिछले 10 वर्षो से अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से कर रहा है संस्था के नाटको में मनुष्य के अस्तित्व उसके दर्शन एवं मानवीय संवेदनाओं के द्वन्द को सहजता एवं दृढ़ता पूर्वक प्रस्तुति को नया कलेवर प्रदान करना है| इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर हमने नाटक में लोककलाओं के समावेष के साथ ही बोलियों के रंगमंच में हो रहे नए प्रयोग को भी महत्त्व दिया गया है|
मण्डप सांस्कृतिक शिक्षा कला केंद्र के लिए नाटक करना शौक नहीं बल्किअभियानहै| रीवा में मण्डप सांस्कृतिक शिक्षा कला केंद्र ने रंगमंच के क्षेत्र में ज्यादा स्थान घेरा है| रीवा देश का ऐसा शहर है जिसमें सभागार नहीं है परन्तु जुझारूपन से अपने कलाकारों के साथ मिलकर एक अंतर्राष्ट्रीय नाट्य कृति को बघेली बोलिबानी में उतारा और प्रस्तुति को सराहा गया|
नाटक बघेली लोककथा पर आधारितबघेली बोलीमें है| वर्तमान समय में मनुष्य ने  अपने आसपास एक झूठा संसार स्थापित कर लिया है यह आजकल तकरीबन सबने ही कर रखा है| परन्तु समाज उन्हें किसी किसी कारण द्वारा यथार्थ से परिचय करा ही देता है| प्रस्तुति अर्थादोष नाटक अल्बेयर कामू के प्रसिद्ध नाटक मिस अंडरस्टैंडिंगका बघेली बोलिबानी में रूपांतरण है| जोकि मनुष्य के असंतुष्टि के मुहावरे को


चरित्रार्थ करता है| नाटक का निर्देशन मनोज कुमार मिश्रा (भा.ना..) का है| नाटक  समाज के बुद्धिजीवियों के सामने प्रश्न खड़ा करता है| प्रस्तुति के बाद नाटक का तुलनात्मक अध्ययन भी दर्शकों के बीच हुआ| मंचन के बाद अगले दिवस सुबह नाटक पर परिचर्चा सत्र हुआ| जिसमे बुद्धिजीवियों, नाट्यनिर्देशक एवं नाट्य समूह के कलाकार शामिल हुए और नाट्य प्रस्तुति की शैली, प्रकार, कथावस्तु, वेशभूषा, संगीत, एवं नाटक में निर्देशक और अभिनेताओं के अभिनव प्रयोगों पर विस्तार से चर्चा हुई| जिसमे इसमें संस्था की तरफ से हनुमंत किशोर, जयराम शुक्ल, चन्द्रिका प्रसादचन्द्र’,योगेश त्रिपाठी, चंद्रशेखर पाण्डेय आदि प्रमुख वक्ता के रूप में थे|
बघेलखंड की लोककथाओं में एक प्रसिद्ध लोक कथा है बैरगिया नाला| यह कथा मूल रूप में सभी लोक संस्कृतियों में किसी किसी रूप में स्थापित है| राजस्थानी बोली में विजयदान देथा बिज्जी भाईकी कहानी तो लिखित रूप में है इधर अल्बेयर कामू का नाटक the misunderstanding(अर्थदोष)भी इस कथा से मिलताजुलता है| कथा में झूठ, फरेब, लूट के साथ-साथ सामाजिक संरचना की अजीब गुत्थी है| भावनाओं का ऐसा जाल अन्यत्र कम ही देखने को मिलाता है| कामू के नाटक the misunderstanding में मुख्य पात्र माँ, बेटी और बेटा और गूगां नौकर सच्चाई से सामना करवाने के लिए बहू है|जोकि मार्था को सच्चाई से साक्षात्कार करवाती है |
हमारी बघेली लोककथा में पुत्र,पिता,बड़ा भाई ,बच्चा और एक नौकर है| जहाँ कामू के नाटक में घटना स्थल होटल है वहीँ इस कथा में घटना धर्मशाला की है| इस कारण नाटक का रूपांतरण करते समय हमने बघेलखंडी सभ्यता को ही मूल मानकर माँबेटी के स्थान पर पिता पुत्र किया है| जो की बघेली कथा है और कथा के जड़ में लोभ छुपा है| पैसे की हाय-हाय, रोजगार की कमी, लालच, किसानों का पलायन, शहरीकरण, भूख के दर से मजदूर बनने की कथा है| भौतिक सुख-सुविधाओं की तलाश है| मनुष्य के दुखोंसुखों सपनों इच्छाओं प्रतिक्रियाओं,असमर्थता, निष्फलता, अवरोध एवं विरोध से समाज में प्रतिरोध की भावना लालच को जन्म देती है| और इस महत्वाकांक्षा का परिणाम हत्या या आत्महत्या होती है मार्था (परिवर्तित चरित्र पुत्र) समाज में रईस, सम्मानित सूची में शामिल होना चाहता है| परन्तु हम उसे ऐसा नहीं दिखाना चाहते की समाज में उसे घृणा की दृष्टि से देखा जाय वरन


हम मुख्य पात्र के रूप परिस्थिति को पेश किया है| जिसके कारण घटना दुखांत रूप लेती है और प्रभाव बढ़ जाता है| the misunderstanding जीवन की निर्रथकता को सार्थक समझानेवालों से तर्क करता है और मैं यहीं नाटक के मोह में फंस जाता हूँ और यही मोह कथा (नाटक) की अभिकल्पना, परिकल्पना की जमीन बनता है| नाटक का बघेली रूपांतरण के साथ बघेलखंडी सस्कृति के साथ संगीत, गीत, नृत्य, वेशभूषा, स्थान भी गया, बघेली मिटटी का रंग गया| गूंगा नौकर आम जनता की तरह घटना को देखता और महसूस करता है| परन्तु उसका अपने मत का कोई महत्व नहीं है| मनुष्य में असंतुष्टि के मुहावरे को चरित्रार्थ करता है|
इस तरह अंतर्राष्ट्रीय नाटक को बघेली बोलिबानी में उतारने का प्रयास है|
रीवा में संस्कृति विभाग, भारत सरकार के आर्थिक अनुदान के सहयोग से प्रस्तुत  नाटकअर्थदोष मण्डप सांस्कृतिक शिक्षा कला केंद्र, रीवा के प्रतिष्ठा आयोजन की गूँज चतुर्दिक है| आपके सहयोग के बिना यह पुष्प रीवा में नहीं फूल सकता था| संस्कृति विभाग, भारत सरकार  ने रीवा में नाट्य प्रस्तुति को आर्थिक सहयोग प्रदान कर मण्डप सांस्कृतिक शिक्षा कला केंद्र, रीवा में अपने  उत्कृष्ठ, कलात्मक एवं नवोन्मेष कार्य को करने का  अवसर प्रदान किया| आपके सहयोग से हीसभागार के आभावमें भी रीवा में नाटकों के नियमित दर्शक है|नाटक अर्थदोष की अब तक 5 प्रस्तुतियां हो चुकी है| बीरबल नाट्य समारोह सीधी, लोकनाट्य समारोह जनजातीय सग्रहालय भोपाल, नाट्यगंगा छिंदवाड़ा, और रीवा में 2 प्रस्तुतियां प्रमुख हैं||
मण्डप सांस्कृतिक शिक्षा कला केंद्र, रीवा (.प्र.) आपकी आभारी है कि संस्कृति विभाग, भारत सरकार हमें वित्तीय सहायता प्रदान कर नाट्य प्रस्तुति को सफल बनाने के निमित्त बने |
धन्यवाद