मंगलवार, 10 अप्रैल 2018

सपना टूटेगा

सपना टूटेगा
…………

लाइट करता हूँ तो, सेट छूट जाता है।
सेट करता हूँ तो प्रापर्टी फिसल जाती है।
प्रापर्टी करता हूँ तो कॉस्ट्यूम छूट जाती है।
कॉस्ट्यूम करता हूँ तो मेकअप रगड़ जाता है।
मेकअप करता हूँ तो एक्टिंग भूल जाती है।
एक्टिंग करता हूँ डायरेक्शन बोल जाता है।
डायरेक्शन करता हूँ दर्शक भटक जाता है।
दर्शक ढूँढता हूँ और सरलीकृत दर्शक बनाता हूँ।
अंत में इंसान ढूँढता हूँ और इंसान बना रहना चाहता हूँ।
बस सपना है तो सपना ही सही।
करना है।
हमें ही सब करना है।