बुधवार, 15 मार्च 2017

मण्डप के बारे में

मण्डप के बारे में
मण्डप सांस्कृतिक शिक्षा कला केंद्र संपूर्ण प्रदेश में सक्रिय संस्था है जो अपने विभिन्न सांस्कृतिक साहित्यिक कार्यो के द्वारा मिट्टी की सोंधी सुगंध को संरक्षित करने का कार्य कर रही है।
राष्ट्रीय,प्रादेशिक एवं संस्थानिक ज्वलंत समस्याओं के तथ्यपरक विवेचन जागरूकता और सांस्कृतिक शिक्षण - प्रशिक्षण के लिए रीवा में किया| रीवा और रीवा के आसपास के क्षेत्र में रंगकर्म के बीज बहुत अधिक संख्या में बिखरे हुए थे ये बीज अपने आस –पास के वातावरण से प्राप्त हवा और नमी से प्रस्फुटित तो होते थे| परन्तु नमी के उड़ जाने के बाद ये कुम्हला और सूख जाते थे। इनके लिए ऐसा कोई बागीचा या क्यारी नहीं थी जहाँ पर इन्हें संरक्षित और सहेजा जा सके। देखरेख के लिए कोई माली भी नहीं था जो उनको सींचता और देखभाल कर उनको वृक्ष बनने के सुअवसर प्रदान करता। अपने आसपास के वातावरण और नमी से उपजे इन्ही पौधों को संरक्षित करने सहेजन सुरक्षा देने और उन्हें बेहतर बनाने के लिए मण्डप का निर्माण किया गया|
1984 के दौर में जब भोपाल में भारत भवन में रंगमंडल की स्थापना हुई और वहां होनेवाले उत्कृष्ट रंगकर्म की धमक रीवा भी पहुँची |इस चमक और धमक में 2000 के आस पास में तेजी आई| बहुत सारे लोग रंगकर्म की चाहत और नए प्रयोग करने की चाह लिए रीवा से बाहर गए| एक दशक बाद लौटकर उन्होंने यहाँ पौध को सहेजने और मंच देने का काम किया | आज यह काम निरंतर जारी है और दिनों दिन फल-फूल रहा है|
लगभग 2004 से “मण्डप सांस्कृतिक शिक्षा कला केंद्र” द्वारा नुक्कड़ नाटकों का सिलसिला शुरू हुआ। मण्डप द्वारा मंचित होने वाले नाटकों की गूँज न केवल रीवा,मध्यप्रदेश के शहरों के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों में भी पहुंची है। मण्डप द्वारा मंचित नाटकों में हवालात ,राम की शक्ति पूजा, अमर शहीद ठाकुर रणमत सिंह,वोटिंग फॉर गोदो, बैरागिया नाला, महतारी, प्रेम दीवाने, राई, महापंडित केशव, अभिमन्यु की आत्महत्या, बड़े भाई साहेब, अन्धा युग , अंधेर नगरी , डाकघर, चोप कचहरी , समय केर फेर, एक विक्रेता की मौत, आदि की प्रस्तुतियां की है| मण्डप अब तक 30 से अधिक नाटकों का मंचन, प्रतिवर्ष 4 नाट्य समारोह और 4 नाट्य कार्यशालाए आयोजित करती है। नाटकों के प्रदर्शन देश के हर कोने में हुए और सराहे गए है।

“मण्डप सांस्कृतिक शिक्षा कला केंद्र” प्रति वर्ष दो-तीन नए नाटकों का मंचन करती है| इसके अलावा मण्डप द्वारा लोक कलाओं के संरक्षण , संवर्धन, प्रदर्शन की दिशा में कारगर कम किया है| जनहित से जुड़े सभी सरोकारों से भी हमारा वास्ता है साक्षरता, भूकंप,पर्यावरण, बाढ़, प्राकृतिक आपदा चुनाव व अन्य मसलों पर हमारी टीम ने अपनी भूमिका पूरी ईमानदारी से निभाई| हमारे सार्थक रंगकर्म को स्थानीय दर्शकों का भारी संबल मिला और उन्हीं के सहारे आज हम खुद को स्थापित कर पाए।
मण्डप आर्ट अपनी त्रैमासिक पत्रिका भी निकलने को संकल्पित है।