रविवार, 30 अप्रैल 2017

मज़दूर दिवस

कहते है वो
पसन्द आई तेरी सिपहसालारी।
यहाँ तो मुद्दतों से बस खटते आये है।
न हो यकीन तो?
घरों की दीवारों से पूंछ लो।
उस पर न मेरा हक़ है न तस्वीर....................….............
गुलाम का ख़त

1 मई मज़दूर दिवस

1 मई
कहते हो तो तुम सामने मेरे कहते हो
गढ़ता हूँ मैं
रचता हूँ मैं
पर
पीठ पीछे मेरी ही तुम मुझे मज़दूर कहते हो