बुधवार, 25 सितंबर 2019

ऐसी आँख

ऐसी आँख कहाँ से दूँ
जो दृश्य नहीं उसका  सत्य दिखाए।
ऐसा कान कहाँ से दूँ
जो शब्द नहीं अर्थ सुनाए।
ऐसा मुँख कहाँ से दूँ
जो व्यर्थ न बोले कभी।
ऐसा हाथ कहाँ से दूँ
जो दूसरे की ज़रूरत समझ सके।
ऐसा सिर कहाँ से दूँ
जो झुका ही रहे सदा।
ऐसा कर्म कहाँ से दूँ
जो याद रहे सदा

(कुछ नहीं रखा है इसमें)
मनोज कुमार मिश्रा