शुक्रवार, 28 जनवरी 2022

पिता

पितृदोष किसे कहते है राम जाने
मुझे सदैव भर आकाश आशीष मिला।।
पिता इच्छाधारी चक्की है वो
जो मांगो उससे कई गुना मिलता है।।
भीषण गर्मी में पंखा, शिशिर में रजाई है
बारिश में मज़बूत छत, बसंत में सुगंध
हेमंत में पकवान, पतझड़ में शीतल छाया
स्वयं के जीवन संघर्ष को छुपाए।
गढ़ते है कुशल कलाकार सा