सोमवार, 27 अप्रैल 2020

बितानी के किस्से भाग 10

बितानी के किस्से भाग 10

।।#अद्भुत #किस्से #बितानी।।
https://youtu.be/SNrdxc14H44
आपका अपना यूट्यूब चैनल

"लोक कथालोक lok kathalok"
#रीवा #राज्य में लोक के अद्भुत, प्रसिद्ध चरित्र *बितानी भाई* है। इनकी लंबाई एक बित्ता की थी जिस कारण से इनका नाम बितानी पड़ा और प्रसिद्ध हुआ। लेकिन दुनिया को अपनी सूझबूझ से चकित कर देता है हमारा बितानी। लोक कथाओं में बितानी के कारनामों के किस्से क्षेत्र का प्रत्येक मनुष्य अपनी दादी नानी से अवश्य ही सुन रखा है। हर समय पर बितानी के किस्से हैं जिनसे चुनकर आपको सुनाते है।
"लोक कथालोक lok kathalok" यूट्यूब चैनल पर लोककथाओं को सुन सकते है भाव के साथ।

प्रत्येक दिवस आपके लिए नई लोककथाएं संग्रहित की जा रही हैं।

'लोक कथालोक lok kathalok' चैनल को अधिक से अधिक #शेयर करें, बेल आइकन दबाएं ताकि आप तक ये कथाएँ पहले पहुंचे।

बच्चों के लिए दादी नानी की कथाओं के साथ आदि लोककथा, पंचतंत्र, हितोपदेश, जातक कथाएं साथ ही सदियों पुरानी कथाएं सुनने को मिलेगी।

स्वयं सुने फिर रास्ता बनाते हुए अपनी कल्पना, अनुभव और स्मरण शक्ति से विस्तार दे करके बच्चों को सुनाएं।

और फिर बच्चों से सुनाने के लिए कहें। इस तरह से बच्चों के स्मरण में विकास होगा।
लोक कथाओं को संरक्षित करने का प्रयास करते रहें खुशी मिलेगी बचपन में लौटकर....
किस्सा मनुष्यों मनुष्य के सदियों में प्राप्त अनुभवजन्य ज्ञान से बनता है। लोक के किस्सों में नायक के विरोधी की मृत्यु नहीं होती है अपितु य्या तो क्षमा कर दिया जाता है य फिर स्वयं ही बच जाता है। किस्सा सुनाना परम्परा में प्रतिदिन किस्सा…..
https://youtu.be/SNrdxc14H44

बुधवार, 15 अप्रैल 2020

जीवन का सत्य

फैसले सही और गलत के बीच में फंस जाते है तब .......

यानी आप संशय में फंस जाते है सही रास्ता नहीं सूझता, अस्पष्टता की इस्थिति निर्मित होती है अर्थात सोच को समझने की क्षमता अपेक्षाकृत कमजोर होती जा रही है।  ऐसे समय में सत्य और असत्य में फर्क करना आसान नहीं होता मनुष्य की मानवता और उसके अंदर की अच्छाई के साथ लोगों पर विश्वास भी किया जाना चाहिए कभी-कभी ऐसी स्थितियों में लोग फायदा उठाने की का अनुचित प्रयास करते हैं प्रकृति ने प्रत्येक जीवन में चार मूल प्रकृति या दी है भूख नींद डर एवं वंश वृद्धि किंतु मनुष्य में विवेक देकर उसे अन्य जीवो से अलग स्थान दिया है जिससे मनुष्य सत्य एवं असत्य उचित एवं अनुचित के बीच अंतर कर पाने की सूझबूझ प्राप्त करता है।

 कुछ लोग तर्क वितर्क करके उसकी आड़ लेकर मानवी संकेतों को दबा देते हैं उनके लिए सही और गलत उचित और अनुचित में फर्क कर पाना आसान नहीं रह जाता ऐसे लोगों का मन अंतरात्मा की आवाज दबा कर अपने अनुचित कृत्य के लिए भी कोई ना कोई उचित तर्क ढूंढ लेता है चाणक्य के अनुसार

 किंतु यदि हमें सही गलत तथा उचित अनुचित के बीच अंतर जानना है तो अपने विचार यह कार्य करने से पहले इधर-उधर भागने के बजाय हमें अपनी अंतरात्मा की ओर उन्मुख होना चाहिए मानवी प्रकृत में विवेक पर भरोसा करना चाहिए अंतरात्मा पर विश्वास करना चाहिए जरूरत है अंतरात्मा को पहचानने की जिसमें किसी भी तरह के कुंठित प्रयास नहीं होते हैं

अंतरात्मा जो सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की बात करता है और फिर मनुष्य की सफलता किसी विशेष कालखंड में सफल या असफल होने के आधार पर नहीं अपितु उसके पूर्ण जीवन काल के आधार पर निर्णय करना चाहिए जीवन सफल हुआ अथवा नहीं।

बाली लोक कथालोक

बाली (लोक कथालोक)

त्रेता युग में राम जब अपनी जानकी की पतासाजी करते हुए सुग्रीव के पास पहुंचते है। तब सुग्रीव अपने और भाई बालि के संबंधों के बारे में पूरी सच्चाई बताते है तब राम ओट में छिपकर सुग्रीव और बालि के छद्मयुध्य में बाली को अपने बाण से घायल कर देते है। बालि राम से छुपा कर मारने का कारण पूँछता है तब राम नैतिकता का सार बताते है और मृत्यु को प्राप्त होते बालि को वरदान देते है कि दुनिया में तुम्हारा नाम अमर रहेगा तुम में अपने विरोधी योद्धा की आधी शक्ति तुम सोख लेते हो इस गुन से ही तुम अनाज के पौधे में सारे अनाज को पुष्पित पल्लवित और विकसित करके अन्न बनाकर उसे मजबूत कवच में सुरक्षित करोगे, जिसका नाम बालि होगा।

बाली अनाज को कई गुणा बना देता है।