फैसले सही और गलत के बीच में फंस जाते है तब .......
यानी आप संशय में फंस जाते है सही रास्ता नहीं सूझता, अस्पष्टता की इस्थिति निर्मित होती है अर्थात सोच को समझने की क्षमता अपेक्षाकृत कमजोर होती जा रही है। ऐसे समय में सत्य और असत्य में फर्क करना आसान नहीं होता मनुष्य की मानवता और उसके अंदर की अच्छाई के साथ लोगों पर विश्वास भी किया जाना चाहिए कभी-कभी ऐसी स्थितियों में लोग फायदा उठाने की का अनुचित प्रयास करते हैं प्रकृति ने प्रत्येक जीवन में चार मूल प्रकृति या दी है भूख नींद डर एवं वंश वृद्धि किंतु मनुष्य में विवेक देकर उसे अन्य जीवो से अलग स्थान दिया है जिससे मनुष्य सत्य एवं असत्य उचित एवं अनुचित के बीच अंतर कर पाने की सूझबूझ प्राप्त करता है।
कुछ लोग तर्क वितर्क करके उसकी आड़ लेकर मानवी संकेतों को दबा देते हैं उनके लिए सही और गलत उचित और अनुचित में फर्क कर पाना आसान नहीं रह जाता ऐसे लोगों का मन अंतरात्मा की आवाज दबा कर अपने अनुचित कृत्य के लिए भी कोई ना कोई उचित तर्क ढूंढ लेता है चाणक्य के अनुसार
किंतु यदि हमें सही गलत तथा उचित अनुचित के बीच अंतर जानना है तो अपने विचार यह कार्य करने से पहले इधर-उधर भागने के बजाय हमें अपनी अंतरात्मा की ओर उन्मुख होना चाहिए मानवी प्रकृत में विवेक पर भरोसा करना चाहिए अंतरात्मा पर विश्वास करना चाहिए जरूरत है अंतरात्मा को पहचानने की जिसमें किसी भी तरह के कुंठित प्रयास नहीं होते हैं
अंतरात्मा जो सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की बात करता है और फिर मनुष्य की सफलता किसी विशेष कालखंड में सफल या असफल होने के आधार पर नहीं अपितु उसके पूर्ण जीवन काल के आधार पर निर्णय करना चाहिए जीवन सफल हुआ अथवा नहीं।
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