बाली (लोक कथालोक)
त्रेता युग में राम जब अपनी जानकी की पतासाजी करते हुए सुग्रीव के पास पहुंचते है। तब सुग्रीव अपने और भाई बालि के संबंधों के बारे में पूरी सच्चाई बताते है तब राम ओट में छिपकर सुग्रीव और बालि के छद्मयुध्य में बाली को अपने बाण से घायल कर देते है। बालि राम से छुपा कर मारने का कारण पूँछता है तब राम नैतिकता का सार बताते है और मृत्यु को प्राप्त होते बालि को वरदान देते है कि दुनिया में तुम्हारा नाम अमर रहेगा तुम में अपने विरोधी योद्धा की आधी शक्ति तुम सोख लेते हो इस गुन से ही तुम अनाज के पौधे में सारे अनाज को पुष्पित पल्लवित और विकसित करके अन्न बनाकर उसे मजबूत कवच में सुरक्षित करोगे, जिसका नाम बालि होगा।
बाली अनाज को कई गुणा बना देता है।
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