डिंडोरी (म.प्र.) में मंचित हुआ पहला नाटक ‘राम की शक्तिपूजा’
दिनांक - 26/01/2015 राम की शक्तिपूजा निराला जी की वैश्विक कविता है| कविता में राम नाम का व्यक्ति है.जो मन में कहीं हार चुका है| परन्तु जब जामवन्त समझाते है कि आप शक्ति की उपासना कीजिये और उन्हें प्रसन्न कीजिये तब राम शक्ति की आराधना करते है और आत्म समर्पण की स्थिति पर पहुंचाते है| जब अभ्यास साधना बनती है, तब साधना आराधना बनती है और अंत में वही आराधना शक्ति प्रदान कराती है| राम की शक्तिपूजा रचनात्मक, तर्कपूर्ण विचार की तरह दिखाया गया है कविता को देखना अलग अनुभव होता सा जान पड़ता है| संवाद कभी लयात्मक कभी सूत्रधारात्मक शैली का उपयोग किया है| नाटक में राम को आम चरित्र की तरह पेश किया गया है नाटक में दलित विमर्श और सामाजिक समीकरण है| साथ ही अपने आप से द्वंद की स्थिति में दिखता है जिसे अभिनेताओं ने बखूबी से उभरा है | सूत्रधार/देवी- राज तिवारी ‘भोला’, राम – अखण्ड प्रताप सिंह, रावण – सुभाष गुप्ता, विभीषण – शैलेन्द्रमणि कुशवाहा, हनुमान – राजेश शुक्ला ‘राजन’, जामवंत – कमलेश वर्मा, लक्ष्मण – स्वतंत्र कुमार ने चरित्रों को निभाया| निर्देशन मनोज कुमार मिश्रा का था
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