रीवा में रंगकर्म की अपनी सुदीर्घ परंपरा है| दरअसल रंगकर्म की
गतिविधियों का जो रूप हम देख रहे है|उसे साकार रूप देने में पित्र पुरुषों को
भुलाया नहीं जा सकता है|अर्थात परंपरा बनाना भी बड़े जतन का काम होता है|जिसे राज
कपूर मेमोरियल सभागार बनाने से इस सृजनात्मक कार्य की गति में वृद्धि होगी |नाटकों
ने रीवा में रचनात्मक क्षेत्र में ज्यादा स्थान घेरा है |किन्तु आज तक रीवा संभाग
में नाट्य मंचन के लिए उपयुक्त सभागार नहीं है| साथ ही पूर्वाभ्यास के लिये भी आज
तक सार्थक स्थान नहीं मिल पाया है कभी
तानसेन काम्प्लेक्स की छत ,कभी क्लीनिक, स्कूल,मैदान ,पार्कों में
पूर्वाभास निरंतर चल रहा है |और पूर्वाभ्यास केवल नाट्य में ही नहीं अपितु
संगीत,नृत्य,पेंटिंग,स्कल्पचर आदि के लिए भी आवश्यक है |इन सभी क्षेत्रों में
कलाकार प्रस्तुतियों के अवसरों की स्थितियों के अलावा समय में भी इरांतर रियाज़ करते है|मगर कभी आन्दोलन की
स्थिति में आकर भी एसी सहूलियतों की शिकायत नहीं करते है| परन्तु यदि जिला प्रशासन
ऐसा स्थान सुलभ कराये तो निश्चय ही यह रीवा के कलाकारों के साथ ही साथ प्रदेश ही
नही देश देशभर के कलाकारों के लिए एक अहम् कदम होगा|
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