शनिवार, 31 जनवरी 2015

अर्थदोष के बारे में धोखा


कामू के नाटक the misunderstanding में मुख्य पात्र माँ ,बेटी ,और बेटा और गूगां नौकर ,सच्चाई से सामना करवाने के लिए बहू है |जोकि मार्था को सच्चाई से साक्षात्कार करवाती है |
हमारी बघेली लोककथा में पुत्र ,पिता ,बड़ा भाई ,बच्चा और एक नौकर है | जहाँ कामू के नाटक में घटना स्थल होटल है वहीँ इस कथा में घटना धर्मशाला की है |इस कारण नाटक का रूपांतरण करते समय हमने बघेलखंडी सभ्यता को ही मूल मानकर माँ – बेटी के स्थान पर पिता पुत्र किया है |जो की बघेली कटा है और कथा के जड़ में लोभ छुपा है |पैसे की हाय-हाय ,रोजगार की कमी ,लालच ,किसानों का पलायन ,शहरीकरण ,भूख के दर से मजदूर बनने की कथा है |भौतिक सुख-सुविधाओं की तलाश है |मनुष्य के दुखों –सुखों सपनों इच्छाओं प्रतिक्रियाओं ,असमर्थता , निष्फलता ,अवरोध एवं विरोध से समाज में प्रतिरोध की भावना लालच को जन्म देती है |और इस महत्वाकांक्षा का परिणाम हत्या या आत्महत्या होती है मार्था (परिवर्तित चरित्र पुत्र) समाज में रईस ,सम्मानित सूची में शामिल होना चाहता है |परन्तु हम उसे एसा नहीं दिखाना चाहते की समाज में उसे घृणा की दृष्टि से देखा जाय वरन हम मुख्य पात्र के रूप परिस्थिति को पेश करना चाहते है |जिसके कारण घटना दुखांत रूप लेती है और प्रभाव बढ़ जाता है |the misunderstanding जीवन की निर्रथकता को सार्थक समझानेवालों से तर्क करता है और मैं यहीं नाटक के मोह में फास जाता हूँ और यही मोह कथा (नाटक) की अभिकल्पना ,परिकल्पना की जमीन बनता है |नाटक का बघेली रूपांतरण के साथ बघेलखंडी सस्कृति के साथ संगीत ,गीत ,नृत्य ,वेशभूषा ,स्थान भी आ गया ,बघेली मिटटी का रंग आ गया |गूंगा नौकर आम जनता की तरह घटना को देखता और महसूस करता है |परन्तु उसका अपने मत का कोई महत्व नहीं है |मनुष्य में असंतुष्टि के मुहावरे को चरित्रार्थ करता है |

इस तरह अंतर्राष्ट्रीय नाटक को बघेली बोलिबानी में उतारने का प्रयास है

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