बाज़ार में रौनक
सोना बिक रहा है इधर
है बिक रही ककड़ी
गद्दा उस तरफ़ बेचा जाता है
यहाँ मिलता है जूता
वहाँ भोजन ले सकते है
उस गली में गोल गप्पे
ये गेहूँ-चावल की छल्लियाँ लगी
टपरे पर पान मिलेगा
कोने के ठेले पर चाय ले लो
इधर कहीं बिकता है पानी
अपने से नहीं आया
उतारा है इसे
उत्तर से दक्षिण उधर पूरब से पश्चिम
हमें खरीदना और बेचना आता है
बाज़ार बिमा कोई हैसियत नहीं हमारी
क्या हम बाज़ारू...? है हम बाज़ारू।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें