सोमवार, 10 अक्तूबर 2022

उजास

उजास

निशा घनी काली चाहे जितनी हो लेकिन मन के उजास पर छा नहीं पाती है। रोशनी का एक कतरा ही काफी है सघन गहन अंधेरे से बाहर आने के लिए। अंधेरे य प्रकाश की कमी में प्रकृति हमारे मन में डर के भाव पैदा कर देता है जबकि प्रकृति तो संसार के सभी जीवों पर सदैव स्नेहासिक्त रहती है अनुराग करती है। और इसी डर के क्रम को एक मीठी मधुर आवाज़ बढ़ा को कई गुना बढ़ा सकती है और यही मीठी मधुर आवाज़ हर भी लेती है।

संसार के समस्त भाव मिल कर मन को संचालित करते हैं।

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