बघासुर (लोकआख्यान)
उमरिया शहडोल डिंडोरी और उसके आसपास के क्षेत्र में बाघ देवता की कथा प्रचलित है कथा के मूल में जंगल के राजा बाघ (शेर) हैं। कथा का रूप समयानुसार रूप बदल रहा है या यूं काहे कहे की ज्यादा प्रभावशील बन पड़ा है। कथा में आदिशक्ति के बाल रूप की चर्चा है। कथा देवी वैष्णव की कथा से मिलती है। उक्त कथा में पूरा प्रसंग वैष्णव देवी का और भैरव की सत्ता को जड़ से उखाड़ने की है साथ ही आम जन के मन उत्पन्न भैरव के भय को उनके मन में मारने का रूप प्रस्तुत करते है। कथा में गीत है किहनी कहनूत उक्खान और पहेलिया बहुतायत में है।
मूल कथा तो तकरीबन सभी स्थानों पर एक सी ही है। पर सुनते समय कथा को सुनाने से होनेवाले मनोरंजन का प्रभाव हमेशा ही अलग होता रहता है
सोमवार, 22 जनवरी 2018
बघासुर
लेबल:
मंच,
मण्डप सांस्कृतिक शिक्षा कला केंद्र,
मनोज,
मनोज कुमार मिश्रा,
राष्ट्रीय रंग अलख नाट्योत्सव,
रीवा,
रीवा प्रेमपत्र
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