तुम्हारे होने का मैं यक़ीन करता हूँ और अगर दुनियावी लोगों को अपने ही जितना यकीन दिला सकता। तो फिर हमारा इश्क समय के दायरे से बाहर हो जाता हमारी मुहब्बत के अमर होने का यही राज़ होता कि हमारी कहानियों को सुनाने और सुनने वाले को उस दुनिया की सैर करवाती जो इस काल खंड के परे है
कभी कभी लगता है कि समय के अनुसार मैं बहुत वषों बाद पैदा हुआ। या इस समय में मेरी कोई खास उपयोगिता नहीं है और कभी लगता है कि थोड़ी देर और हो जाती तो........कहीं संवेदनशीलता ने तो ज़्यादा जकड़ने की कोशिश तो शुरू नहीं कर दी। वजह सिर्फ इतना ही है कि चीजों को नए तरीके से देखने समझने लगा हूँ, घिसेपिटे तौर-तरीकों से मेरा इत्तेफाक नहीं है। चीजों को अपने और तुम्हारे सम्बन्ध के तराजू में तौलकर उसका भाव तय करता हूँ।
हमारे बचपन के सुख के दिन, जो अब हमारे जीवन में कभी नहीं लौटेंगे। क्या मैं कभी उसकी कोई भी स्मृति भुला सकता हूँ? उन दिनों के बारे में सोचकर मेरा मन बार-बार प्रफुल्लित हो जाता है अंतस में एक नवीन नूतन ऊँचाई के अनुभव को महसूस करने लगता हूँ।
याद आता है कि मेरे लिये किस तरह बातें सुनने के शौक को दबाना मुश्किल था। और तुम हमेशा बातों को कहती रहती थी। और मैं तुम्हारा प्यारा, मधुर स्वर सुनता रहता। नींद में डूब जाने के बाद भी मुझे तुम्हारी आकृति........
भीड़ में अपने आपको समेट कर बैठ रहता था। लोग सोचते थे/है। सोया हुआ है, सुस्त है, खोया हुआ है। जबकि मैं तुम्हारे शब्दों की खुशबू में उड़ता रहता था........आज भी तैरता रहता हूँ। यह जरूर है तुम अधिकतर मेरी कल्पना के रूप में ही दिखती हो चेहरा अब तो और कम साफ दिखता है जितना करीब पहुंचना चाहता हूँ उतना धुँधली और मोहक तुम्हारी तस्वीर हो रही है जिज्ञासा तेज़ी से बढ़ रही है। नीद से आनखे बोझिल हो जाती है। पलकें नींद से भारी हो जाती है। सब लोग सो जाते है और आधी नींद में मुझे लगता है कि बीकोई मुझे अपने कोमल हांथों से छू रहा है। मैं तो जान जाता हूँ कि यह सिर्फ तुम्हारा स्पर्श है। और एक मीठा और चिर परिचित शब्द कानों को सुनाई पड़ता है *उठो अब* और मैं अपने दोनों बाजू कंधे पर रख देता था और कहता हूँ मेरी प्यारी, मैं तुम्हें कितना ज्यादा चाहता हूँ।
और तुम्हारे होठो में उदास, मोहक मुस्कान सिमट आती है। मेरे माथे को चूमती हो और सर गोद में रख लेती हो। और उस दिन...........अच्छा! तो तुम मुझे बहुत चाहते हो। चुप्पी। सच बताओं मुझे हमेशा प्यार करोगे? कभी नहीं भूलोगे? जब मैं नहीं रहूंगी तब.....भूलोगे तो नहीं न?
मैं..................….…………....………………………
सोमवार, 19 दिसंबर 2016
कला और कल्पना
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