सोमवार, 14 सितंबर 2015

पितृऋण

 ऋण

जिनके कारण हम इस दुनिया में आए, और सुखद अहसास के साथ जीवित है जिन्होंने हमें जनम दे दिया, जिन्होंने हमारे लिए मेहनत की, हमारी ख़ुशी के लिए खून - पसीना एक कर दिया| उन प्रिय आत्मीय जनों के परलोक सिधार जाने की बात को आप इतनी आसानी से छोड़ देंगे? नहीं ना? इन्सान अभी इतना एहसान फ़रामोश नहीं हो गया है यह तो है ही की गुजर जाने के बाद उस आदमी के बारे में हमारा दुःख कम हो, उससे भी बढ़कर बात है| अहसान मानना| इस कृतज्ञ भाव से श्राद्ध विधि - श्रद्धा विधि से किया जाए तो जो आदमी चला गया उसकी अपेक्षा हमारे ही के मन को शक्ति मिलती जाती है| इसमें सिर्फ धर्म कहीं नहीं आता|

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