prichay
मंगलवार, 22 फ़रवरी 2022
कमबख्त
वो तो कमबख्त है जब आती है।
न नींद आती है न याद आती है।।
शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2022
* एक विक्रेता की मौत*
* एक विक्रेता की मौत*
चारों तरफ
गाड़ियाँ ही गाड़ियाँ
स्कूल ही स्कूल
हॉस्पिटल ही हॉस्पिटल
रास्ते ही रास्ते
कचड़ा ही कचड़ा
बंदूकें ही बन्दूकें
दास ही दास
मॉल ही मॉल
कल्पना ही कल्पना
कम ही इनके मालिक हैं
ज्यादातर पेट में
पत्थर बाँधकर
झोपड़पट्टियों और पटरियों में
दबे पड़े है।
(मनोज मिश्रा)
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