दुनियां के किसी छोर आर रहनेवाले ओ जीवधारी ,
तुम कुछ हो,
कोई हो,
कोई भी प्राणी हो, स्थलचर,जलचर,नभचर कोई भी
अपनी अनजानीसम्वेदनाएँ भेजकर तुमने उपकार किया,
मैं आवर्तो में बधा हुआ
आज कहाँ हूँ ?
अपने लोगो का हूँ
अपनी दुनिया का हूँ
आज मै तुम्हारा हूँ
बिलकुल ,तुम्हारा हूँ
केवल तुम्हारा हूँ
कही रहो ,
कोई हो ,
तुम्हारा