❒ प्राचीनकाल की महत्वपूर्ण पुस्तकें
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1-अस्टाध्यायी पांणिनी
2-रामायण वाल्मीकि
3-महाभारत वेदव्यास
4-अर्थशास्त्र चाणक्य
5-महाभाष्य पतंजलि
6-सत्सहसारिका सूत्र नागार्जुन
7-बुद्धचरित अश्वघोष
8-सौंदरानन्द अश्वघोष
9-महाविभाषाशास्त्र वसुमित्र
10- स्वप्नवासवदत्ता भास
11-कामसूत्र वात्स्यायन
12-कुमारसंभवम् कालिदास
13-अभिज्ञानशकुंतलम् कालिदास
14-विक्रमोउर्वशियां कालिदास
15-मेघदूत कालिदास
16-रघुवंशम् कालिदास
17-मालविकाग्निमित्रम् कालिदास
18-नाट्यशास्त्र भरतमुनि
19-देवीचंद्रगुप्तम विशाखदत्त
20-मृच्छकटिकम् शूद्रक
21-सूर्य सिद्धान्त आर्यभट्ट
22-वृहतसिंता बरामिहिर
23-पंचतंत्र विष्णु शर्मा
24-कथासरित्सागर सोमदेव
25-अभिधम्मकोश वसुबन्धु
26-मुद्राराक्षस विशाखदत्त
27-रावणवध। भटिट
28-किरातार्जुनीयम् भारवि
29-दशकुमारचरितम् दंडी
30-हर्षचरित वाणभट्ट
31-कादंबरी वाणभट्ट
32-वासवदत्ता सुबंधु
33-नागानंद हर्षवधन
34-रत्नावली हर्षवर्धन
35-प्रियदर्शिका हर्षवर्धन
36-मालतीमाधव भवभूति
37-पृथ्वीराज विजय जयानक
38-कर्पूरमंजरी राजशेखर
39-काव्यमीमांसा राजशेखर
40-नवसहसांक चरित पदम् गुप्त
41-शब्दानुशासन राजभोज
42-वृहतकथामंजरी क्षेमेन्द्र
43-नैषधचरितम श्रीहर्ष
44-विक्रमांकदेवचरित बिल्हण
45-कुमारपालचरित हेमचन्द्र
46-गीतगोविन्द जयदेव
47-पृथ्वीराजरासो चंदरवरदाई
48-राजतरंगिणी कल्हण
49-रासमाला सोमेश्वर
50-शिशुपाल वध माघ
51-गौडवाहो वाकपति
52-रामचरित सन्धयाकरनंदी
53-द्वयाश्रय काव्य हेमचन्द्र
54-भगवत्अज्जुकियं बोधायन
मंगलवार, 12 दिसंबर 2017
संस्कृत की श्रेष्ठ पुस्तकें
रविवार, 26 नवंबर 2017
रीवा में आराध्य देवी शक्तिपीठ
आराध्य देवियाँ रीवा जिला
दक्षिण में बालाजी, उत्तर में मां वैष्णो देवी। विंध्य में मां शारदा और विंध्यवासिनी। पश्चिम में पुष्कर तो पूर्व में बंगाल की मां काली। हर तीर्थ और मंदिर का अपना इतिहास है, लेकिन बात रीवा रियासत की करें तो यह देश का इकलौता स्थान है, जहां नौ देवियां सैकड़ों साल से अपनी कृपा बरसा रही हैं। बघेल राजाओं द्वारा नौ देवियों को स्थापित करने का उद्देश्य दुश्मनों की बुरी नजर से बचना, रियासत में सुख-शांति था। पेश है रिपोर्ट...।
मां कालका मंदिर: रानी तालाब में रीवा शहर का सबसे चर्चित मंदिर है। यहां पर मां कालका विराजमान हैं। नवरात्र में हजारों भक्त माथा टेकते हैं। कहते हैं मन की भावनाओं को भांप कर मां प्रसन्न हो जाती हैं। यहां सिद्धि के लिए बलि भी दी जाती है। मां की प्रतिमा 450 वर्ष पूर्व एक व्यापारी दल ने यहां छोड़ दी थी। रीवा रियासत के राजाओं ने इस स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया। ऐसी किदवंती है। वर्तमान में यहां भव्य मंदिर है।
महिषासुर मर्दनी
राजवंश की देवी के रूप में महिषासुर मर्दनी की स्थापना रीवा किले के जगन्नाथ परिसर में की गई थी। तब से इनकी पूजा-अर्चना होती आ रही है। नवरात्र के दिनों में यहां पर भक्तों की आस्था देखते ही बनती है। महामृत्युंजय भगवान के साथ महिषासुर मर्दनी के दर्शन सौभाग्यशाली होते हैं।
मां उग्रतारा देवी
रीवा किले के बाहर उपरहटी में बंगाली टोला में मां उग्रतारा देवी का मंदिर स्थित है। कहते हैं भगवान शंकर को मां उग्रतारा देवी ने ही दूध पिलाया था। मां उग्रतारा से ही भगवान शंकर को तीसरा नेत्र प्राप्त हुआ था। नवरात्र में मां के दरबार में भक्तों का डेरा लगता है।
कौमारी माता
रीवा किले के पूर्वी हिस्से के अखाड़घाट में स्थित कौमारी माता का मंदिर है। आस्था का यह केंद्र है। कहते हैं कि जिन कन्याओं का विवाह नहीं होता है। यहां पूजन के बाद उनका विवाह जल्द होने की संभावना रहती है। इसी आकांक्षा में मां के दरबार में युवतियां माथा टेकने आती हैं।
मां फूलमती देवी
रीवा शहर में समान तिराहे से बाण सागर कालोनी आते समय नए बस स्टैंड के पीछे मां फूलमती देवी का मंदिर है। जिन्हें रीवा राज्य के राजाओं द्वारा स्थापित किया गया था। फूलमती देवी जिन्हें वन देवी के नाम से भी जाना जाता है। नवरात्र में इनकी पूजा-अर्चना फलदायी होती है।
मां जालपा देवी
उपरहटी में किले के बाहर मां जालपा देवी की प्रतिमा स्थापित है। किले से 150 मीटर की दूरी पर रीवा रियासत के राजाओं ने इस मंदिर की नींव रखी थी। यह देवी मंदिर अखंड ज्योति का प्रतीक है। इन्हें ज्वाला देवी का स्वरूप माना जाता है।
मां शीतला माता
अमहिया मोहल्ले के रास्ते पर स्थित मजार के पास नीम के पेड़ के नीचे मां शीतला माता का मंदिर स्थापित है। यह देवी आपदा, महामारी से तो बचाती ही हैं, बच्चों की रक्षा के लिए जानी जाती हैं। जहां माताएं शीतला अष्टमी को चूड़ी मिष्टान चढ़ाती हैं।
मां विंध्यवासिनी देवी
रीवा शहर के तरहटी मोहल्ले में नगरिया स्कूल के आगे स्थित मां का मंदिर हर दिन आस्था का केंद्र है। कहते हैं पृथ्वी की उत्पत्ति से ही विंध्य पर्वत का उदय हुआ था। माता देवकी के कारण से जन्मी और मामा कंस के हाथों से पटकी गई देवी ही मां विध्यवासिनी हैं।
मां शारदा मंदिर
रीवा में फोर्ट रोड स्थित सुदर्शन कुमारी विद्यालय के पास मां शारदा मंदिर स्थित है। यहां स्वर की देवी, ज्ञान की देवी, शिक्षा की देवी और आल्हा-ऊदल की आराध्य देवी मां शारदा विराजमान हैं। लोगों की श्रद्धा का यह प्रमुख केंद्र है। नवरात्रों में यहां भारी भीड़ उमड़ती है।