अधूरी कविता
[पूरी न हो पाने के कारण ]
तेरे जाने पर याद आया |
पत्नी ने बताया था
‘‘कोई आने वाला है’’
मुस्कराहट,शर्म ,झुकी नज़र
सब तो याद है |
दाई ने बताया बेटा है
माँ गा रही थी सोहर |
लोगो की गोद से
छलांग मार कर
पहली बार उंगली पकड़ी थी
वो भी याद है |
तुम चल रहे थे मेरी
उंगली के सहारे के बगैर
स्कूल के वेश मे देखा था |
फिर पकड़ा था मेरी उंगली
पाठशाला के लिए |
हमने सौपा था दूसरे के हाथ मे
हर दिन ध्यान मे सिर्फ तुम होते |
विद्यालय,महाविद्यालय फिर
विश्वविद्यालय सब याद है
ट्यूशन कर के
अपनी मंजिल की तरफ
बढे थे बिन उंगली पकडे |
वो खुशी जो तुमने हमें दी
व्याह कर लाए थे परीजाद |
तुम आई.पी.एस. थे
हमारे पाव खुशी से
थे हवा मे |
गाँव खुश था,शहर खुश था
दोस्त खुश थे परिवार भी |
पर जाने किसे ये खुशी रास ना आई
संदेशा आया तेरे जाने का |
कभी फिर वापस ना आने का |
विश्वास कर ले हम कैसे
उंगली पकड़ चलनेवाला हाथ कट गया |
ड्रेस पहने सीना छलनी हो गया |
व्याहता हो गई विधवा |
तेरी यादो ने वादों का रूप धरा है
जो न जानता था नाम तेरा
न हमारा मालूम था पता|
तेरे जाने से याद आया
अब बाबूजी नहीं है कहनेवाला
नहीं है रूठनेवाला
न ही मनानेवाला|
तेरे जाने से याद आया ||
[ मनोज मिश्रा,रीवा ]